Hey there!
How are you doing?
Hope doing well and keeping well.
So I am here with a thought again.
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जैसा की आप टाइटल देख कर समझ गए होंगे, आज की पोस्ट है मेरे अनुभवों पर निर्धारित। मैं किस तरह लोगो की अच्छी बातों को अपने जीवन में अमल करने की कोशिश करती हूँ। मैं अपने ब्लॉग्स के माध्यम से अपने experiences share करती हूँ। शायद किसी के काम ही आ जाए।
मैंने life में ये देखा है के आप अपने experiences से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
कोई भी आ कर आपके अंदर कुछ feed नहीं कर सकता।
भाई हम इंसान हैं computer तो नहीं।
मैंने life में ये देखा है के आप अपने experiences से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
कोई भी आ कर आपके अंदर कुछ feed नहीं कर सकता।
भाई हम इंसान हैं computer तो नहीं।
अगर मैं अपने बचपन के बारे में बात करूँ तो मैंने अपने घर पर बहुत कम समय बिताया है। मैं अक्सर अपनी बुआ, मासी, दादी, नानी के घर रहती थी। ऐसा नहीं के अपने घर में कोई तकलीफ थी, बस बात ये के कभी छुट्टियाँ हैं तो किसी के घर चले गए। जहां से प्यार मिला वहीं के हो गए, वो बात है।
इतने सारे लोगो के यहाँ जाने से, उनके रहन सहन, उनके तौर तरीक़ो को observe करना शुरू किया। मुझे जो बातें अच्छी लगती गई उन्हें अपना लिया। उस वक़्त उम्र खेलने कूदने की थी लेकिन इन चीज़ों में भी ध्यान चला जाता था।
आज जब मैं अपनी गृहस्थी संभालती हूँ तो लगता है के ये सब मुझे सिर्फ अपनी माँ से ही नहीं बल्कि मेरे परिवार की सभी महिलाओं से मिला। किसी का खाना बनाने का तरीका बहुत अच्छा था, किसी का साफ़ सफाई का। कोई बोलता मीठा था, तो कोई बहुत ही खुशमिजाज़ था।
आज जब मैं अपनी गृहस्थी संभालती हूँ तो लगता है के ये सब मुझे सिर्फ अपनी माँ से ही नहीं बल्कि मेरे परिवार की सभी महिलाओं से मिला। किसी का खाना बनाने का तरीका बहुत अच्छा था, किसी का साफ़ सफाई का। कोई बोलता मीठा था, तो कोई बहुत ही खुशमिजाज़ था।
एक बहुत important बात, आपने सुना होगा सीखने की कोई उम्र नहीं होती। ये बात दोनों तरफ लागू होती है। सीखने वाले पर भी और सिखाने वाले पर भी। कई बार आप अपने से कम उम्र के लोगो से या बच्चों से भी बहुत अच्छी बातें सीख जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर,
मैं जब अपने 1.5 साल के बेटे को देखती हूँ, तो लगता है मैं इससे भी कितना कुछ सीख सकती हूँ। मैं अगर उस पर गुस्सा कर भी दूँ तो रोता हुआ मेरी ही गोद में आ जाता है। यहाँ से मैं सीख सकती हूँ बातों को भुला देना। मैं उसे खेल खेल में भी कह दूँ मुझे चोट लग गई फटाफट मुझे प्यार करने आ जाता है। ये मुझे सिखाता है caring।
मैं जब अपने 1.5 साल के बेटे को देखती हूँ, तो लगता है मैं इससे भी कितना कुछ सीख सकती हूँ। मैं अगर उस पर गुस्सा कर भी दूँ तो रोता हुआ मेरी ही गोद में आ जाता है। यहाँ से मैं सीख सकती हूँ बातों को भुला देना। मैं उसे खेल खेल में भी कह दूँ मुझे चोट लग गई फटाफट मुझे प्यार करने आ जाता है। ये मुझे सिखाता है caring।
तो दोस्तों, एक बात कह कर ब्लॉग ख़त्म करना चाहूंगी, के खामियां हम सब में हैं। इस धरती पर कोई perfect नहीं आया, न ही पूरी तरह से perfect हो सकता है। हमारा प्रयास ये ही होना चाहिये के जिस भी जगह से हम कोई भी अच्छी आदत अपनी ज़िन्दगी में अपना सके, तो ज़रूर अपनाइये। ये हमें ही एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करेगा।
मैं हमेशा इस कोशिश में रहती हूं क्योंकि मुझमें अथाह खामियाँ हैं।
मैं हमेशा इस कोशिश में रहती हूं क्योंकि मुझमें अथाह खामियाँ हैं।
चलती हूँ दोस्तों,
मेरे साथ मेरे ब्लॉग्स पर यूँ ही बने रहिये।
Thank you
मेरे साथ मेरे ब्लॉग्स पर यूँ ही बने रहिये।
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